अविनाश शांडिल्य
आपने शब्दो को मोतियो की तरह पिरोया है वह काबिले तारीफ है। निसंदेह मुझे यह व्यक्त करने मे कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि आपकी प्रस्तुति अपने आप मे अनूठी एवं भावनात्मक पहलूओ को स्पर्श करते हुए अन्तरात्मा को झकझोरने की प्रयास है।
अत्यंत रोचक प्रस्तुती,एक निर्जीव वस्तु का सजीव वार्तालाप, अपने आप मे एक अनूठा प्रयोग
आपने शब्दो को मोतियो की तरह पिरोया है वह काबिले तारीफ है। निसंदेह मुझे यह व्यक्त करने मे कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि आपकी प्रस्तुति अपने आप मे अनूठी एवं भावनात्मक पहलूओ को स्पर्श करते हुए अन्तरात्मा को झकझोरने की प्रयास है।
अत्यंत रोचक प्रस्तुती,एक निर्जीव वस्तु का सजीव वार्तालाप, अपने आप मे एक अनूठा प्रयोग